ഗവ യു പി എസ്സ് വഞ്ചിയൂർ/അക്ഷരവൃക്ഷം/ जल नहीं तो जीवन नहीं
जल नहीं तो जीवन नहीं
'जल नहीं तो जीवन नहीं', इस बड़े तथ्य को जानने के बाद भी हम कहीं ज़्यादा गंभीर नहीं दिखाई देते। अध्ययन बताते हैं कि लगभग चालीस देश आज भी पर्याप्त पानी के अभाव से ग्रस्त है। अगर ऐसा ही हो रहा तो 2050 तक कई लोग प्यासे हो जाएंगे। अगर भारत को ही देखें तो लगभग 203 शहरों में प्रति व्यक्ति को 100 लिटर पानी का अभाव है। राजस्थान के शहरों में तीन दिन में एक बार पानी आता है। उत्तरप्रदेश के 6000 गाँव पानी के सीधे अभाव से फँसे हैं। देश की बडी नदियाँ भी पानी की कमी झेल रही हैं। छोटी नदियाँ प्रायः लुप्त हो चुकी है। ऐसे चले तो करोडों की जल की पूर्ति में 30 प्रतिशत की कटौती हो जाएगी। देरा का कोई भी राज्य ऐसा नहीं हैं, जो जल संकट से न जूझ रहा होIहिमालयी राज्य जिन्हें प्रकृति प्रदत्त नदियाँ हैं, वहाँ के लोग भी पानी से आधे अधूरे हैंा दक्षिण भारत में पानी के स्रोत तालाबों और नदियाँ हैं Iये भी बड़े संकट में आ चुके हैं। ये नदियाँ और तालाबें यहाँ के संस्कृति के सबसे बडे सूचक हैं। इतिहास और वर्तमान इसके साक्षी हैं। बढ़ता शहरीकरण पानी के संकट को तेजी से गहरा रहा है Iशहरों की बढ़ती आबादी के लिए पानी की उपलब्धता गाँवों के तालाबों नदियों से पूरी की जा रही है। बढ़ता जलप्रूषण भी एक संकट के रूप में आता है । हम भाग्यशाली देश है, जिस पर मौसम की कृपा है। पर्याप्त वर्षा हमें मिलते हैं, जो हमारे किसी भी जल संकट का सीधा उत्तर दें । पर हमें जल प्रबन्धन तथा संरक्षण पर ध्यान रखना है।
സാങ്കേതിക പരിശോധന - Sachingnair തീയ്യതി: 04/ 05/ 2020 >> രചനാവിഭാഗം - ലേഖനം |
- അക്ഷരവൃക്ഷം പദ്ധതിയിലെ സൃഷ്ടികൾ
- തിരുവനന്തപുരം ജില്ലയിലെ അക്ഷരവൃക്ഷം-2020 സൃഷ്ടികൾ
- കിളിമാനൂർ ഉപജില്ലയിലെ അക്ഷരവൃക്ഷം-2020 സൃഷ്ടികൾ
- അക്ഷരവൃക്ഷം പദ്ധതിയിലെ ലേഖനംകൾ
- തിരുവനന്തപുരം ജില്ലയിലെ അക്ഷരവൃക്ഷം ലേഖനംകൾ
- തിരുവനന്തപുരം ജില്ലയിലെ അക്ഷരവൃക്ഷം സൃഷ്ടികൾ
- കിളിമാനൂർ ഉപജില്ലയിലെ അക്ഷരവൃക്ഷം-2020 ലേഖനംകൾ
- തിരുവനന്തപുരം ജില്ലയിൽ 04/ 05/ 2020ന് ചേർത്ത അക്ഷരവൃക്ഷം സൃഷ്ടികൾ
- അക്ഷരവൃക്ഷം 2020 ഹിന്ദി രചനകൾ
- അക്ഷരവൃക്ഷം 2020 പദ്ധതിയിൽ നാലാം ഘട്ടത്തിൽ പരിശോധിച്ച സൃഷ്ടികൾ
- അക്ഷരവൃക്ഷം 2020 പദ്ധതിയിൽ നാലാംഘട്ടത്തിൽ പരിശോധിച്ച ലേഖനം