ഗവ. ജി എച്ച് എസ് എസ് ആലപ്പുഴ/അക്ഷരവൃക്ഷം/दिल के आँगन में

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दिल के आँगन में    


इस अधर के बीच सिर्फ में
अकेलापन की इस काले कमरे में
मेरे दिल की तूलिका चलती है ।
दिल एक तित्तली की तरह उड़ती है ।
               नींद देवता मुझसे नाराज़ है ।
               एक महामारी की तीव्र तांडव में
               धरती काँप रही है ।
               डर की काली नज़रों में
                दुनिया डूब जाती है ।
ऊपर आसमान और नीचे भूमि के बीच
करोड़ों ज़िंदगियाँ मौत को देखती है ।
माैत उसे देखकर हँसती है ।
इस कसौटी में लोग फँसते जा रहे है ।
                महानगर नींद में डूब जाती है ।
                सड़कें विजन और निर्जीव है ।
                 वो एक पादस्पर्श के लिए चाहती है ।
                 कोई आवाज़ नहीं सिर्फ डर ।
पूरी दुनिया अपने आप के लिए सोचती है ।
पर कुछ लोग दूसरों के बारे में सोचते है ।
वो अपने जीवन का बलिदान करते है ।
इलाज से इतिहास बनाते है ।
                 इलाज की उस तलवार लेकर
                 लड़ती है हमारी अक्षौहिणी सेना ।
                  एक चक्रव्यूह में रोकना चाहते है ।
                  एक ब्रह्मास्त्र से अंत करेगा उस महामारी का ।
इस काले कमरे में सिर्फ मैं
आती है याद माँ की प्यार ।
पता नहीं किस दिन उनसे मिलूँ ?
पर एक दिन ज़रूर मिलूँगा ।
                  उस गुलमोहर की छया पर सोना चाहती हूँ ।
                  कब आयेगा वो दिन ?
                   भरोसा है मुझे एक दिन आयेगा ,
                  शत्रु हमारे चक्रव्यूह में फँसेगा ।
पूरी दुनिया उड़ेगी एक दिन ।
एक दूसरे के हाथ पकड़कर हम बढ़ेंगे
विजय का सूर्योदय होगा ।
क्योंकि हम मानव है ।

 

गायत्री पि एस
XI Science ജി.എച്ച്.എസ്സ്.എസ്സ്._ഫോർ_ഗേൾസ്_ആലപ്പുഴ
ആലപ്പുഴ ഉപജില്ല
ആലപ്പുഴ
അക്ഷരവൃക്ഷം പദ്ധതി, 2020
കവിത


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