"എച്.എസ്.എസ് വല്ലപ്പുഴ/അക്ഷരവൃക്ഷം/बदलाव" എന്ന താളിന്റെ പതിപ്പുകൾ തമ്മിലുള്ള വ്യത്യാസം

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22:34, 4 മേയ് 2020-നു നിലവിലുണ്ടായിരുന്ന രൂപം

बदलाव

क्या क्या नही था इस दुनिया में
हर जगह बस शोर हि शोर
हर जगह बस झगड़ा हि झगड़ा।
कई अपने जाति या धर्म के बारें में
कहता था और कई
अपने समुदाय के बारें में।
कोई इनसानियत नही... कोई मानवीय मूल्य नही...
प्यार नही... भावनाएँ नही...
बस आपस में दुश्मनि और नफ़रत...
आपस में झगड़ते थे, चिलाते थे
और मार काट भी करते थे ।
कहीं प्रदूषण और कहीं मरे जंगलों...
कहीं शराब और कहीं नशीले पदार्थों ।
जीना ही मुश्किल हो गया था।
कई भगवान के नाम पर
व्यापार करता था ,
वो अपने आप को भगवान का सबसे बड़ा बक्त कहता था
बल्की कहना चाहिए अपने आप
 को भगवान कहता था
और लोग तो उने मानता भी था।
पर अब तो सब कुछ बदल गया है,
नहीं... कहना चाहिए सब कुछ बदला दिया है।
 यकीन ही नही आ रही है कि कैसे
एक छोटी सी चीज़ ने इस दुनिया कि
हालत ही बदल दिया।
मानव का विचार था कि
वह सब बातों में काबिल है।
पर आज देखो तो कैसे
झनसान की वजह से ही
वह मुश्किल में आ पड़ा है।
एक वाइरस की आ जाने से सब साथ हो गया।
देखो तो कैसे मिलजुलकर
इसका सामना कर रही है।
अब तो शोर नही... झगड़ा नही..
कोई भेदभाव नही।
इनसानियत है, प्यार और भावनाएँ है ।
कोई दुश्मनी नहीं नफ़रत भी नही।
प्रदूषण नही और कोई नशीले पदार्थे भी नही।
और कहाँ गया वो लोग जो अपने आप को भगवान समझता था ?
डरकर छिपा होगा...
और क्या करेगा वो? छिपा हि होगा।
रोशनी बरी इस दुनिया में
सबके अंदर अंधेरा था।
 लोगों को आपस में देखने का भी समय नही था
वो अपने काम में व्यस्त था।
पर अब तो वो घर में बंद है और
आपस में बातचीत कर रही हैं।
देखो तो एक वाइरस ने क्या क्या
बदलाव ले आया।
पर एक बात तो है
इन सब के होने से भी
लोग सुतरेगा नही ।
इनसान सुतरने वालों सें तो
बिलकुल भी नही है ।

ഹർഷ
10 B എച്.എസ്.എസ്_വല്ലപ്പുഴ
ഷൊർണ്ണൂർ ‌ ഉപജില്ല
പാലക്കാട്
അക്ഷരവൃക്ഷം പദ്ധതി, 2020
കവിത


 സാങ്കേതിക പരിശോധന - Sachingnair തീയ്യതി: 04/ 05/ 2020 >> രചനാവിഭാഗം - കവിത