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സഹായം

"ഇ എം എസ് സ്മാരക ഗവ. എച്ച് എസ് എസ് പാപ്പിനിശ്ശേരി" എന്ന താളിന്റെ പതിപ്പുകൾ തമ്മിലുള്ള വ്യത്യാസം

(ചെ.)
വരി 127: വരി 127:
കേരള സർക്കാർ പൊതു വിദ്യാഭ്യാസ സംരക്ഷണ യജ്ഞത്തിൻെറ ഭാഗമായി [https://kiifb.org/ കിഫ്ബി] ധനസഹായത്തോടെ കേരള ഇൻഫ്രാസ്ട്രക്ചർ ആൻറ് ടെക്നോളജി ഫോർ എഡ്യുക്കേഷൻ([https://kite.kerala.gov.in/KITE/ കൈററ്)]വഴി നടപ്പാക്കിയ ഹൈടെക് സ്‍ക‍ൂൾ പദ്ധതിയിൽ ഉൾപ്പെടുത്തി ഈ വിദ്യാലയത്തിന് അഞ്ചു വർഷത്തെ വാറണ്ടി ഉൾപ്പെടെ ഉപകരണങ്ങൾ ലഭ്യമാക്കിയിട്ടുണ്ട്.വിശദമായ വിവരങ്ങൾ ഹൈസ്‍ക‍ൂൾ,ഹയർസെക്കൻററി താളുകളിൽ ലഭ്യമാക്കിയിട്ടുണ്ട്.
കേരള സർക്കാർ പൊതു വിദ്യാഭ്യാസ സംരക്ഷണ യജ്ഞത്തിൻെറ ഭാഗമായി [https://kiifb.org/ കിഫ്ബി] ധനസഹായത്തോടെ കേരള ഇൻഫ്രാസ്ട്രക്ചർ ആൻറ് ടെക്നോളജി ഫോർ എഡ്യുക്കേഷൻ([https://kite.kerala.gov.in/KITE/ കൈററ്)]വഴി നടപ്പാക്കിയ ഹൈടെക് സ്‍ക‍ൂൾ പദ്ധതിയിൽ ഉൾപ്പെടുത്തി ഈ വിദ്യാലയത്തിന് അഞ്ചു വർഷത്തെ വാറണ്ടി ഉൾപ്പെടെ ഉപകരണങ്ങൾ ലഭ്യമാക്കിയിട്ടുണ്ട്.വിശദമായ വിവരങ്ങൾ ഹൈസ്‍ക‍ൂൾ,ഹയർസെക്കൻററി താളുകളിൽ ലഭ്യമാക്കിയിട്ടുണ്ട്.


 
വഴികാട്ടി
<u>ഹിന്ദി ക്ലബ്</u>
 
'''<u>(2020-21)</u>'''
 
# <u>'''प्रतीक्षा की किरणें(कहानी)'''</u>
 
'''घर''' के बाहर बारिश बहुत जो़र से ज़मीन पर गिर रही थी। सोना उसकी अम्मा से एक बात पूछ रही थी-"अम्मा, विक्टेर्स चानल में क्लास देखने के बाद मैं रोजा के घर जाऊँ?कितले दिन हुए,बहुत बोर हो चुकी हूँ।उस समय माँ कुछ नहीं बोलती। सोना और रोजा ई एम एस एस जी एच एस एस में पढती हैं।रोजा का घर सोना के घर से बहुत दूर है। सोना के पडोस में बहुत अधिक लोग रहते हैं। कोरोना वैरस के आने के बाद वह पडोसियों के घर भी नहीं जाती।वह स्कूली जीवन और माहौल के बारे में सोचकर दिन काटती है। सोना फिर अम्मा के पास गई-”अम्मा क्या मैं रोजा के घर जाऊँ?”सोना की अम्मा स्कूली अध्यापिका है।वे बच्चों का मन खूब जानती हैं।उनकी दोस्ती,उनका अध्ययन सब  स्कूल से जुटे हैं।कोरोना महामारी से बचने के लिए बच्चे घर से बाहर न निकले -इसकी जानकारी अम्मा को है।इसलिए अम्मा बेटी की बात  टाल देती है।सोना जिद्ध करती है और रूठ जाती है।सोना रोती जा रही थी।बाहर बहुत जो़र की बारिश भी चल रही थी।.......अंदर भी पानी ,बाहर भी पानी.........."सोना ये लो तुम्हारा फोण"-फोण लेकर माँ सोना के पास आई।"रोजा ,तुम...? मैं अभी तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी। मुझे तूम्हारी याद बहुत आ रही है। मुझे तुमसे बहुत सी बातें करनी है.....साथ खेलना है..........साथ पढ़ना है............क्या करूँ? वे दोनों बातें करती रहीं......समय का पता न था.......बाहर बारिश भी खतम हुई थी।सन प्रकाश की किरणें सोने के चेहरे पर पड़ने लगी...........प्रकृति भी खुश ........... सोना भी खुश..............।
 
फात्तिमत्तुल जासमिन वी के(10th std)
 
<u>2.    '''अकेलापन(कविता)'''</u>
 
अगर हमने अपने लाडले को
 
खो दिया -
 
हम दुखी और अकेले हो गये
 
अकेलापन का महल
 
उदासी से बना है।
 
अगर हम अकेलेपन से प्यार कर रहे है
 
इसकी वजह यह है
 
हम एक बडी समस्या से पीडित है।
 
कभी-कभी
 
अकेलापन हमें बचा सकता है
 
कभी -कभी
 
अकेलापन हमें मार डालेगा।
 
- सन्त्वना सुधीर(नवीं कक्षा)
 
3.  '''<u>तनहाई(कविता)</u>'''
 
'''तुम,''' हम जैसे बुज़ुर्गों के लिए
 
प्रेम का पूरा रंग दें,
 
हमारे गमों को पहचाने
 
हम अकेले ........
 
शायद सपने देखते हो या
 
बेहोश पडे हो
 
इसी तरह जारी है हमारी यात्रा ।
 
हमारे पास उत्तर जीविता का
 
हथियार है।
 
जिनसे मिलती है शक्ति और ताकत ।
 
आज हम ज़्यादातर अनुभवी बन गये
 
चारदीवारों के अन्दर बैठे
 
दुनिया की सच्चाई का
 
अनुभव करते है।
 
तनहाई में बैठना आदत बन गया था
 
मन का दुख तूलिका से
 
निकल रहा था
 
जिनके पास समय नहीं था
 
हमारे पास बैठने को
 
आज मिल चुका है
 
उनको समय
 
हमारे मुंह से निकली कहानी
 
पसंद लगने लगे हैं उन्हें
 
हमारे प्यारे बच्चों,
 
हमें छाया की जरूरत है
 
तनहाई की घोंसले से
 
निकाल दें हमें बाहर
 
-श्रेया के(नवीं कक्षा)
 
'''<u>4.मुझे आज़ादी चाहिए(कहानी)</u>'''
 
'''ब'''हुत दिनों के बाद हमारे परिवार में खुशी लौटकर आई है। माँ,बाप,नाना, नानी सब काम में व्यस्त था कि उन्हें बैठने का भी समय न मिल रहा था।सब लोग खुश है....सिवाय मैं...............माँ कहती थी कि शादी ज़िन्दगी का एक अहम मोड़ है, जहाँ पर ससुराल अपना नया घर बन जाता है। इसका मतलब यह है कि जो ज़िन्दगी हम जी रहे हैं उसे बिगडने दें....?"बेला.......”अचानक माँ की आवाज़ सुनाई दीं । "देख कौन आया है? ”एक बडा-सा तोफा लेकर रोहन खडा है। अपने चेहरे पर एक नकली मुस्कान के साथ मैं उसके पास गई। लेकिन उसके चेहरे पर कोई मुस्कान न देखा।हम दोनों को अकेले कमरे में छोड़कर माँ नीचे चली गयी। कई बार मझे घूर-घूर के देखने पर भी मैं रोहन से मुस्कुराती रही।उन्होंने तोफा फेंकते हुए कहा "वाह बेला वाह! सोचा नहीं था कि इतनी जल्दी मेरा सपना पूरा होगा।कमाल की बात है।किधर गई तेरी हिम्मत! तेरी तो अठारह साल भी न हुआ, घरवाले शादी करने केलिए बोला और तू मान गई। ज़िन्दगी में मौका सिर्फ एक ही बार आता है,उसे कभी खोना मत। तू अभी शादी की चिंता छोड़ और पढाई में ध्यान दें। "मैं रोने लगी।यद्यपि रोहन मेरा मंगेतर है, फिर भी वह मेरे मन की बात समझता है। रोहन का साथ देकर मुझे लगा कि पूरी दुनिया मेरे साथ है............। रोहन के चले जाने पर मैं माँ के पास गई.....समय का ज़रा भी देरी न करते हुए मैं ने ज़ोर से कहा कि मुझे शादी नहीं करनी है।अकसमात् सब के सब हैरान हुए। मैं काँप रही थी।पापा ने मुझे मारा,बहुत मारा।अचानक मैं ने उनका हाथ पकडा और हटाते हुए कहा -”मुझे जीना है, मुझे आज़दी चाहिए।"पूरा परिवार स्तब्ध हो गये।.......................................................
 
................................................................................................................................."उसके बाद क्या हुआ?”साक्षात्कार कर्ता ने अपना अगला सवाल पूछा।उसके बाद मेरी शादी को रोका।बहुत बोलने के बाद मुझे कॉलज भेजने का भी निर्णय लिया।और हाँ ,मुझे भी मिली आज़ादी....खुद का एक पहचान.....'''डॉ. बेला.'''...........।सभी दर्शकों ने तालियाँ बजाना शुरू किया।रोहन के कहने पर मैं ने अपनी आवाज़ उठाई। मगर कब तक ?...हम लोग दूसरों के कहने पर ही अपना हक बताएगा?बस उसी का इंतज़ार है..............।
 
निवेद्‍‍‍‍या सुरेषबाबू टी(8th std)
 
==വഴികാട്ടി==
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തിരുത്തലുകൾ

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