"ഗവൺമെൻറ്. എച്ച്.എസ്.എസ് മാരായമുട്ടം/അക്ഷരവൃക്ഷം/आँखें खोलो ईश्वर" എന്ന താളിന്റെ പതിപ്പുകൾ തമ്മിലുള്ള വ്യത്യാസം

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उस दिन वे आए
उस दिन वे आए
जब वे आए
जब वे आए
सब लोग परेशान हुए
सब लोग परेशान हुए
लेकिन कैसे है यह
लेकिन कैसे है यह
कौन है वह ?
कौन है वह ?
जब हम समझ गए कि
जब हम समझ गए कि
वह है कोरोणा
वह है कोरोणा
तब समय जा चुका था
तब समय जा चुका था

12:21, 13 ഏപ്രിൽ 2020-നു നിലവിലുണ്ടായിരുന്ന രൂപം

आँखें खोलो ईश्वर


<poem>

उस दिन वे आए

जब वे आए

सब लोग परेशान हुए

लेकिन कैसे है यह

कौन है वह ?

जब हम समझ गए कि

वह है कोरोणा तब समय जा चुका था

दुनिया भर वह फैल गया था ।

जब हाथ दिया जाता है तब वह आता है साथ जब हाथ धोता है साहुन से वह चला जाता है । उस पर विजय पाने केलिए हमें सामूहिक दूरी बनाए रखना है उसके आगमन को रोकने केलिए घरों में ही रहना है । घरों में खुशियाँ आयी दोस्त बन गए किताबें मुक्त हो गे लोग समय के बंधन से बन गए रिश्ते सफल । खुश हुए पशु- पक्षी और धर्ती माँ कोई त्योहार नहीं , कोई विलास नहीं केवल यही प्रार्थना ही है, हे ईश्वर इस महामारी को मिटाना ।

അഞ്ജന
9C ഗവ.എച്ച് എസ് എസ് മാരായമുട്ടം
നെയ്യാറ്റിൻകര ഉപജില്ല
തിരുവനന്തപുരം
അക്ഷരവൃക്ഷം പദ്ധതി, 2020
കവിത