"ഗവൺമെൻറ്. എച്ച്.എസ്.എസ് മാരായമുട്ടം/അക്ഷരവൃക്ഷം/आँखें खोलो ईश्वर" എന്ന താളിന്റെ പതിപ്പുകൾ തമ്മിലുള്ള വ്യത്യാസം

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उस दिन वे आए
उस दिन वे आए
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वह है कोरोणा
वह है कोरोणा
तब समय जा चुका था
तब समय जा चुका था
  दुनिया भर वह फैल गया था ।
  दुनिया भर वह फैल गया था ।
जब हाथ दिया जाता है
जब हाथ दिया जाता है
तब वह आता है साथ
तब वह आता है साथ
जब हाथ धोता है साहुन से
जब हाथ धोता है साहुन से
वह चला जाता है ।
वह चला जाता है ।
उस पर विजय पाने केलिए  
उस पर विजय पाने केलिए  
हमें सामूहिक दूरी बनाए रखना है
हमें सामूहिक दूरी बनाए रखना है
उसके आगमन को रोकने केलिए
उसके आगमन को रोकने केलिए
घरों में ही रहना है ।
घरों में ही रहना है ।
घरों में खुशियाँ आयी
घरों में खुशियाँ आयी
दोस्त बन गए किताबें
दोस्त बन गए किताबें
मुक्त हो गे लोग समय के बंधन से
मुक्त हो गे लोग समय के बंधन से
बन गए रिश्ते सफल ।
बन गए रिश्ते सफल ।
खुश हुए पशु- पक्षी और धर्ती माँ
खुश हुए पशु- पक्षी और धर्ती माँ
कोई त्योहार नहीं , कोई विलास नहीं
कोई त्योहार नहीं , कोई विलास नहीं
केवल यही प्रार्थना ही है,
केवल यही प्रार्थना ही है,
हे ईश्वर इस महामारी को मिटाना ।
हे ईश्वर इस महामारी को मिटाना ।



12:22, 13 ഏപ്രിൽ 2020-നു നിലവിലുണ്ടായിരുന്ന രൂപം

आँखें खोलो ईश्वर


उस दिन वे आए

जब वे आए

सब लोग परेशान हुए

लेकिन कैसे है यह

कौन है वह ?

जब हम समझ गए कि

वह है कोरोणा

तब समय जा चुका था

दुनिया भर वह फैल गया था ।

जब हाथ दिया जाता है

तब वह आता है साथ

जब हाथ धोता है साहुन से

वह चला जाता है ।

उस पर विजय पाने केलिए

हमें सामूहिक दूरी बनाए रखना है

उसके आगमन को रोकने केलिए

घरों में ही रहना है ।

घरों में खुशियाँ आयी

दोस्त बन गए किताबें

मुक्त हो गे लोग समय के बंधन से

बन गए रिश्ते सफल ।

खुश हुए पशु- पक्षी और धर्ती माँ

कोई त्योहार नहीं , कोई विलास नहीं

केवल यही प्रार्थना ही है,

हे ईश्वर इस महामारी को मिटाना ।

അഞ്ജന
9C ഗവ.എച്ച് എസ് എസ് മാരായമുട്ടം
നെയ്യാറ്റിൻകര ഉപജില്ല
തിരുവനന്തപുരം
അക്ഷരവൃക്ഷം പദ്ധതി, 2020
കവിത