"ഗവൺമെൻറ്. എച്ച്.എസ്.എസ് മാരായമുട്ടം/അക്ഷരവൃക്ഷം/आँखें खोलो ईश्वर" എന്ന താളിന്റെ പതിപ്പുകൾ തമ്മിലുള്ള വ്യത്യാസം
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വരി 14: | വരി 14: | ||
लेकिन कैसे है यह | लेकिन कैसे है यह | ||
कौन है वह ? | कौन है वह ? | ||
जब हम समझ गए कि | |||
वह है कोरोणा | |||
तब समय जा चुका था | |||
दुनिया भर वह फैल गया था । | |||
जब हाथ दिया जाता है | जब हाथ दिया जाता है | ||
तब वह आता है साथ | तब वह आता है साथ | ||
जब हाथ धोता है साहुन से | जब हाथ धोता है साहुन से | ||
वह चला जाता है । | वह चला जाता है । | ||
उस पर विजय पाने केलिए | |||
हमें सामूहिक दूरी बनाए रखना है | |||
उसके आगमन को रोकने केलिए | |||
घरों में ही रहना है । | |||
घरों में खुशियाँ आयी | घरों में खुशियाँ आयी | ||
दोस्त बन गए किताबें | दोस्त बन गए किताबें | ||
मुक्त हो गे लोग समय के बंधन से | मुक्त हो गे लोग समय के बंधन से | ||
बन गए रिश्ते सफल । | बन गए रिश्ते सफल । | ||
खुश हुए पशु- पक्षी और धर्ती माँ | |||
कोई त्योहार नहीं , कोई विलास नहीं | |||
केवल यही प्रार्थना ही है, | |||
हे ईश्वर इस महामारी को मिटाना । | |||
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12:21, 13 ഏപ്രിൽ 2020-നു നിലവിലുണ്ടായിരുന്ന രൂപം
आँखें खोलो ईश्वर
उस दिन वे आए जब वे आए सब लोग परेशान हुए लेकिन कैसे है यह कौन है वह ? जब हम समझ गए कि वह है कोरोणा तब समय जा चुका था दुनिया भर वह फैल गया था । जब हाथ दिया जाता है तब वह आता है साथ जब हाथ धोता है साहुन से वह चला जाता है । उस पर विजय पाने केलिए हमें सामूहिक दूरी बनाए रखना है उसके आगमन को रोकने केलिए घरों में ही रहना है । घरों में खुशियाँ आयी दोस्त बन गए किताबें मुक्त हो गे लोग समय के बंधन से बन गए रिश्ते सफल । खुश हुए पशु- पक्षी और धर्ती माँ कोई त्योहार नहीं , कोई विलास नहीं केवल यही प्रार्थना ही है, हे ईश्वर इस महामारी को मिटाना ।
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വർഗ്ഗങ്ങൾ:
- അക്ഷരവൃക്ഷം പദ്ധതിയിലെ സൃഷ്ടികൾ
- തിരുവനന്തപുരം ജില്ലയിലെ അക്ഷരവൃക്ഷം-2020 സൃഷ്ടികൾ
- നെയ്യാറ്റിൻകര ഉപജില്ലയിലെ അക്ഷരവൃക്ഷം-2020 സൃഷ്ടികൾ
- അക്ഷരവൃക്ഷം പദ്ധതിയിലെ കവിതകൾ
- തിരുവനന്തപുരം ജില്ലയിലെ അക്ഷരവൃക്ഷം കവിതകൾ
- തിരുവനന്തപുരം ജില്ലയിലെ അക്ഷരവൃക്ഷം സൃഷ്ടികൾ
- നെയ്യാറ്റിൻകര ഉപജില്ലയിലെ അക്ഷരവൃക്ഷം-2020 കവിതകൾ
- തിരുവനന്തപുരം ജില്ലയിൽ 13/ 04/ 2020ന് ചേർത്ത അക്ഷരവൃക്ഷം സൃഷ്ടികൾ