നിർമ്മല ഭവൻ ഗേൾസ് എച്ച്. എസ്. എസ്/അക്ഷരവൃക്ഷം/ परिस्थिति आजकल

परिस्थिति आजकल


प्रगति का नाश करते मानव
   अब रो रहा है चिल्ला चिल्ला कर I
   हालांकि पेड़ों को काटा ,  
   और खेतों को नष्ट कर दिया,
 फिर भी समझा नहीं प्रकृति का दर्द I
   खत्म नहीं हुआ उसका गर्व I
   मानवीयता बचा नहीं
   इस भीषण हाथों में I
   कूड़े-कचरे ढेर से ढेर वैसे
  बना दिया कूड़ेदान इस हरी रंग का I

     एक-एक करके आए
     विनाशकारी व्याधियाँ
     वंदन करता अब
      हानी मारकर I 

  सामना कर दिया  निप्पा और प्रलय को,
  अब तो आया एक हत्यारा विषाणु,
  किसी ने बुलाया उसे कोविड I
  मार डाला उसने मानव को,
  अचल रह गया इस भुवना !
  मुखौटा  तो पहनना है,
  हाथ धोना है, साबुन से
  बीस सेकंड तक धोना है,
  हाथ मिलाना छोड़ना है,
  सैर करना भूलना है I

    ऐसी चली स्वच्छता का संदेश....
    स्वच्छ रहो, तो स्वस्थ  रहो
    हे मानव,बिना स्वच्छता
    बीमारियाँ तो आएगी !

 

സ്വാതി. എൽ
IX B നിർമല ഭവൻ ഹയർ സെക്കന്ററി സ്കൂൾ
തിരുവനന്തപുരം നോർത്ത് ഉപജില്ല
തിരുവനന്തപുരം
അക്ഷരവൃക്ഷം പദ്ധതി, 2020
കവിത


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