"സെന്റ്.ഫിലോമിനാസ് എച്ച്.എസ്. കൂനമ്മാവ്/അക്ഷരവൃക്ഷം/अभिलाषा" എന്ന താളിന്റെ പതിപ്പുകൾ തമ്മിലുള്ള വ്യത്യാസം

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<poem><center>
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सब मनुष्य का परिणाम,
बचपन से ही एक इच्छा है
सोता जागता हर वक्त
जो मन की गहराई अंधकार में फस गया था,
कोरोना के बारे में चिंतित है।
जो मुझे हर घडना में आत्मविश्वास प्रदान किया!


सब उसे बातचीत कर-कर
रात और दिन,अभिलाषा मेरे साथ ही हैं......!!
उसकी गंभीरता न समझते हैं
मुझे नहीं पता कि मैं उसे निभा पाऊंगा,
यहां-वहां हर तरफ ये हैं,
फिर भी मैं कोशिश करती रहूंगी..!
एक एक इच्छा.. एक एक दिन में आता रहता है।


छोटा-बड़ा सबको यह सामान,
कभी सैकल मांगने का इच्छा,
हर तरफ इसके बारे में
कभी डाक्टर बनने का इच्छा,
लेकिन क्या फायदा कुछ भी नहीं कर सकता,
मन में अलग-अलग आग्रहों जागता रहता हैं,
लेकिन क्या ‌फैता सब अंधकार के साथ-साथ डूब जाता है।


फिर भी हम कोशिश करता
इच्छा एक भौतिक परिवर्तन हैं!
हर वक्त इस के बारे में हम सोचते
जो बर्फ के समान, तापमान के साथ अपना रूप भी बदलते हैं ,
प्रार्थना करते, चिंतित रहे,
कभी पिघल जाता है!
कभी अपने असली रूप में बन जाता है!


सबको इसका गंभीरथा बता दे,
मनुष्य जीवन,अभिलाषाओं का खेल है
हर वक्त हमको और हमारा परिसर को शुद्ध करें, कदम उठालो
जिस खेल में कभि इच्छा जीतते हैं, कभी हम हार जाता है।
विश्वास रखो कि हमको इस कोरोना वायरस से जरूर मुक्ति मिलेंगी ।
मुझे नहीं पता कि मेरे इच्छा पूरी हो या ना हो!!           
 
                            ‌                               
</center></poem>
लेकिन मैं कोशिश करूंगा ,
और मुझे ‌प्रतीक्षा हैं कि अक्सर कोशिश करने से
मेरा अभिलाषा ज़रूर पूरी होंगी।</center></poem>
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| പേര്= അമിയ  ടി  ബി  
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വരി 35: വരി 40:
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06:31, 21 ഏപ്രിൽ 2020-നു നിലവിലുണ്ടായിരുന്ന രൂപം

अभिलाषा

बचपन से ही एक इच्छा है
जो मन की गहराई अंधकार में फस गया था,
जो मुझे हर घडना में आत्मविश्वास प्रदान किया!

रात और दिन,अभिलाषा मेरे साथ ही हैं......!!
मुझे नहीं पता कि मैं उसे निभा पाऊंगा,
फिर भी मैं कोशिश करती रहूंगी..!
एक एक इच्छा.. एक एक दिन में आता रहता है।

कभी सैकल मांगने का इच्छा,
कभी डाक्टर बनने का इच्छा,
मन में अलग-अलग आग्रहों जागता रहता हैं,
लेकिन क्या ‌फैता सब अंधकार के साथ-साथ डूब जाता है।

इच्छा एक भौतिक परिवर्तन हैं!
जो बर्फ के समान, तापमान के साथ अपना रूप भी बदलते हैं ,
कभी पिघल जाता है!
कभी अपने असली रूप में बन जाता है!

मनुष्य जीवन,अभिलाषाओं का खेल है
जिस खेल में कभि इच्छा जीतते हैं, कभी हम हार जाता है।
मुझे नहीं पता कि मेरे इच्छा पूरी हो या ना हो!!
                            ‌
लेकिन मैं कोशिश करूंगा ,
और मुझे ‌प्रतीक्षा हैं कि अक्सर कोशिश करने से

मेरा अभिलाषा ज़रूर पूरी होंगी।
അമിയ ടി ബി
8 സി സെന്റ. ഫിലോമിനാസ് എച്ച് എസ് എസ്, കൂനമ്മാവ്
വടക്കൻ പറവൂർ ഉപജില്ല
എറണാകുളം
അക്ഷരവൃക്ഷം പദ്ധതി, 2020
കവിത

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