"Ssk17:Homepage/ഹിന്ദി കവിതാ രചന (എച്ച്.എസ്)/ഒന്നാം സ്ഥാനം" എന്ന താളിന്റെ പതിപ്പുകൾ തമ്മിലുള്ള വ്യത്യാസം
('{{BoxTop | തലക്കെട്ട്=Subject:ഹിന്ദി കവിതാ രചന (എച്ച്.എസ്)...' താൾ സൃഷ്ടിച്ചിരിക്കുന്നു) |
No edit summary |
||
(2 ഉപയോക്താക്കൾ ചെയ്ത ഇടയ്ക്കുള്ള 5 നാൾപ്പതിപ്പുകൾ പ്രദർശിപ്പിക്കുന്നില്ല) | |||
വരി 1: | വരി 1: | ||
{{BoxTop | {{BoxTop | ||
| തലക്കെട്ട്= | | തലക്കെട്ട്='''फूल़ और कॉंटें''' | ||
}} | }} | ||
<nowiki>होती हॆ कहानी हर किसी की , | |||
मुस्कराह्ट,गम और प्यार की | | |||
खिलती हॆ हर एक जीवन | |||
बरसों कू तपस्या से..... | |||
होति हॆ कहानी हर जीत की - | |||
पीछे सालों की मेहनत की | | |||
होती हॆ कहानि हर खुशी की - | |||
पीछे बरसों की गम की | | |||
ऐसे अजिब था जीवन मेरा, | |||
लेकिन खिला हूं अब फूल़् जैसे | | |||
पर जीवन के उस काले कॉंटें | |||
कॊ कहीं धुपाना हॆ मैंने | | |||
वॊ दिन आसमान थॆ कालॆ, | |||
बादल सॆ गिर रहा था बारिश , | |||
पर चमक रहीं भि आॉंखें मेरी , | |||
सबसॆ खूबसूरत फूल की चमक | | |||
आयेंगॆ लोग देखनॆ मेरॆ चमक, | |||
दिखाना हॆ मुझॆ उन सबकॊ , | |||
मुझॆ बेकार कहॆ लोगों कॊ | |||
क्या मोड लिया हॆ जिंदगी नॆ मेरी | | |||
कहा था मुझसॆ सबनॆ, | |||
"बनॊ तुम डाक्टर था इनजीनीसऱ् "| | |||
लेकिन सपना था मेरी,बननॆ की, | |||
'दुनिया कॆ सबसॆ महत्व कवि'| | |||
दिखाऊगॉ उन सबकॊ में, होती हॆ | |||
क्या एक कवि बनना | | |||
कलम कॊ तलवार बनाकर | |||
पूरि दुनिया सॆ लडं जाना | | |||
मेरि तलवार सॆ निकली पहली कविता - | |||
'एक कली खिलतॆ समय.....' | |||
रचा नहीं इसॆ कियी फूल कॊ देखकर, | |||
यथाथॆ हॆ मेरॆ जीवन की यह | | |||
खिल चुका हूॉं अब में, नहीं | |||
तोड पाऎगी कोई भी मुझॆ | | |||
मौत कॆ बाद भी खिला रहेेगा, | |||
मेरॆ हर कविता सॆ | | |||
लेकिन उस खिलनॆ कॆ पीछॆ भी, | |||
हैं एक बहूत लंबी कहानि | | |||
हर कॉटों सॆ मिला दर्द पर भी, | |||
मुस्कुरानॆ की हैसल की कहानी | | |||
आसान हॆ खिलनॆ एक फूल कॆ, | |||
लेकिन हॆ नहीं एक कवि की | | |||
अपनॆ अंदर कॆ हर अग कॊ | |||
अक्षर में बदलकर खिलता हॆ एक कवि | | |||
सभी मानव हॆ फूल कॆ समान, | |||
खुशियॉं फैलाकर खिलनॆवालॆ | | |||
पर खोजना हॆ हर किसी कॊ | |||
अंदर की वॊ खूबसूरत फूल कॊ| | |||
खोजा करॊ तुम उसॆ हर पल | |||
अंदर कॆ वॊ फूल कॊ, मिलेंगॆ तुझॆ | |||
दिल कॆ किसी अंदेरे कोन में | | |||
क्योंकि, खिलनॆ की चाह हॆ हर फूल में....... | |||
लेकिन ऐसी भी हॆ कहानि फूलों की, | |||
जॊ खिलनॆ कॆ पहलॆ हि गिर गया | | |||
बनाऒ तुम अपनी जिंदगी, | |||
मौत कॆ आनॆ की पहलॆ ही| | |||
लेकिन खिलना तुम बिलकुल ऐसॆ - | |||
चायों दि शाऒं में खुशबू फैलाकर, | |||
सबकॆ कॆ मन में प्यार का याद दिलाकर, | |||
बिलाकुल एक कली खिलतॆ जैसॆ |</nowiki> | |||
<div style="text-align:center;"> | <div style="text-align:center;"> | ||
<p style="font-weight:bold;font-size:2em;"> | <p style="font-weight:bold;font-size:2em;"> | ||
<br/> | <br/> | ||
</p> | </p> | ||
{{Clickable button 2| | {{Clickable button 2|കയ്യെഴുത്ത്|url=http://schoolwiki.in/images/d/d5/Kssk-641-665.pdf|class=mw-ui-progressive}} | ||
</div> | </div> | ||
{{BoxBottom | {{BoxBottom | ||
| പേര്= ANJANA RAJAN | | പേര്= ANJANA RAJAN | ||
| ക്ലാസ്സ്= 10 | | ക്ലാസ്സ്= 10 | ||
| | | വർഷം=2017 | ||
| | | സ്കൂൾ= ജി.എച്ച്. എസ്.എസ്.ചായ്യോത്ത് (Kasaragod) | ||
| | | സ്കൂൾ കോഡ്= 12044 | ||
| ഐറ്റം=ഹിന്ദി കവിതാ രചന | | ഐറ്റം=ഹിന്ദി കവിതാ രചന | ||
| വിഭാഗം= | | വിഭാഗം= എച്ച്.എസ് | ||
| മത്സരം=സംസ്ഥാന | | മത്സരം=സംസ്ഥാന സ്കൂൾ കലോത്സവം | ||
| പേജ്=Ssk17:Homepage | | പേജ്=Ssk17:Homepage | ||
}} | }} | ||
<!--visbot verified-chils-> |
23:55, 26 സെപ്റ്റംബർ 2017-നു നിലവിലുള്ള രൂപം
फूल़ और कॉंटें
होती हॆ कहानी हर किसी की , मुस्कराह्ट,गम और प्यार की | खिलती हॆ हर एक जीवन बरसों कू तपस्या से..... होति हॆ कहानी हर जीत की - पीछे सालों की मेहनत की | होती हॆ कहानि हर खुशी की - पीछे बरसों की गम की | ऐसे अजिब था जीवन मेरा, लेकिन खिला हूं अब फूल़् जैसे | पर जीवन के उस काले कॉंटें कॊ कहीं धुपाना हॆ मैंने | वॊ दिन आसमान थॆ कालॆ, बादल सॆ गिर रहा था बारिश , पर चमक रहीं भि आॉंखें मेरी , सबसॆ खूबसूरत फूल की चमक | आयेंगॆ लोग देखनॆ मेरॆ चमक, दिखाना हॆ मुझॆ उन सबकॊ , मुझॆ बेकार कहॆ लोगों कॊ क्या मोड लिया हॆ जिंदगी नॆ मेरी | कहा था मुझसॆ सबनॆ, "बनॊ तुम डाक्टर था इनजीनीसऱ् "| लेकिन सपना था मेरी,बननॆ की, 'दुनिया कॆ सबसॆ महत्व कवि'| दिखाऊगॉ उन सबकॊ में, होती हॆ क्या एक कवि बनना | कलम कॊ तलवार बनाकर पूरि दुनिया सॆ लडं जाना | मेरि तलवार सॆ निकली पहली कविता - 'एक कली खिलतॆ समय.....' रचा नहीं इसॆ कियी फूल कॊ देखकर, यथाथॆ हॆ मेरॆ जीवन की यह | खिल चुका हूॉं अब में, नहीं तोड पाऎगी कोई भी मुझॆ | मौत कॆ बाद भी खिला रहेेगा, मेरॆ हर कविता सॆ | लेकिन उस खिलनॆ कॆ पीछॆ भी, हैं एक बहूत लंबी कहानि | हर कॉटों सॆ मिला दर्द पर भी, मुस्कुरानॆ की हैसल की कहानी | आसान हॆ खिलनॆ एक फूल कॆ, लेकिन हॆ नहीं एक कवि की | अपनॆ अंदर कॆ हर अग कॊ अक्षर में बदलकर खिलता हॆ एक कवि | सभी मानव हॆ फूल कॆ समान, खुशियॉं फैलाकर खिलनॆवालॆ | पर खोजना हॆ हर किसी कॊ अंदर की वॊ खूबसूरत फूल कॊ| खोजा करॊ तुम उसॆ हर पल अंदर कॆ वॊ फूल कॊ, मिलेंगॆ तुझॆ दिल कॆ किसी अंदेरे कोन में | क्योंकि, खिलनॆ की चाह हॆ हर फूल में....... लेकिन ऐसी भी हॆ कहानि फूलों की, जॊ खिलनॆ कॆ पहलॆ हि गिर गया | बनाऒ तुम अपनी जिंदगी, मौत कॆ आनॆ की पहलॆ ही| लेकिन खिलना तुम बिलकुल ऐसॆ - चायों दि शाऒं में खुशबू फैलाकर, सबकॆ कॆ मन में प्यार का याद दिलाकर, बिलाकुल एक कली खिलतॆ जैसॆ |
|