Ssk17:Homepage/ഹിന്ദി കവിതാ രചന (എച്ച്.എസ്)/ഒന്നാം സ്ഥാനം

फूल़ और कॉंटें
होती हॆ कहानी हर किसी की ,
मुस्कराह्ट,गम और प्यार की |
खिलती हॆ हर एक जीवन 
बरसों कू तपस्या से.....
                          होति हॆ कहानी हर जीत की -
                          पीछे सालों की मेहनत  की | 
                          होती हॆ कहानि हर खुशी की -
                          पीछे बरसों की गम की |
ऐसे अजिब था जीवन मेरा, 
लेकिन खिला हूं अब फूल़् जैसे |
पर जीवन के उस काले कॉंटें 
कॊ कहीं धुपाना हॆ मैंने |
                        वॊ दिन आसमान थॆ कालॆ,
                        बादल सॆ गिर रहा था बारिश ,
                        पर चमक रहीं भि आॉंखें मेरी ,
                        सबसॆ खूबसूरत फूल की चमक |
आयेंगॆ लोग देखनॆ मेरॆ चमक, 
दिखाना हॆ मुझॆ उन सबकॊ ,
मुझॆ बेकार कहॆ लोगों कॊ 
क्या मोड लिया हॆ जिंदगी नॆ मेरी |
                      कहा था मुझसॆ सबनॆ, 
                     "बनॊ तुम डाक्टर था इनजीनीसऱ् "|
                      लेकिन सपना था मेरी,बननॆ की,  
                     'दुनिया कॆ सबसॆ महत्व कवि'|
दिखाऊगॉ उन सबकॊ में, होती हॆ 
क्या एक कवि बनना |
कलम कॊ तलवार बनाकर
पूरि दुनिया सॆ लडं जाना |
                       मेरि तलवार सॆ निकली पहली कविता - 
                      'एक कली खिलतॆ समय.....'
                       रचा नहीं इसॆ कियी फूल कॊ देखकर, 
                       यथाथॆ हॆ मेरॆ जीवन की यह |
खिल चुका हूॉं अब में, नहीं
तोड पाऎगी कोई भी मुझॆ |
मौत कॆ बाद भी खिला रहेेगा, 
मेरॆ हर कविता सॆ |
                        लेकिन उस खिलनॆ कॆ पीछॆ भी, 
                        हैं एक बहूत लंबी कहानि | 
                        हर कॉटों सॆ मिला दर्द पर भी, 
                        मुस्कुरानॆ की हैसल की कहानी |
आसान हॆ खिलनॆ एक फूल कॆ, 
लेकिन हॆ नहीं एक कवि की |
अपनॆ अंदर   कॆ हर अग कॊ
अक्षर में बदलकर खिलता हॆ एक कवि |
                       सभी मानव हॆ फूल कॆ समान, 
                       खुशियॉं फैलाकर खिलनॆवालॆ |
                       पर खोजना हॆ हर किसी कॊ 
                       अंदर की वॊ खूबसूरत फूल कॊ|
खोजा करॊ तुम उसॆ हर पल
अंदर कॆ वॊ फूल कॊ, मिलेंगॆ तुझॆ
दिल कॆ किसी अंदेरे कोन में |
क्योंकि, खिलनॆ की चाह हॆ हर फूल में.......
                          लेकिन ऐसी भी हॆ कहानि फूलों की, 
                          जॊ खिलनॆ कॆ पहलॆ हि गिर गया | 
                          बनाऒ तुम अपनी जिंदगी,
                          मौत कॆ आनॆ की पहलॆ ही|
लेकिन खिलना तुम बिलकुल ऐसॆ - 
चायों दि शाऒं में खुशबू फैलाकर, 
सबकॆ कॆ मन में प्यार का याद दिलाकर, 
बिलाकुल एक कली खिलतॆ जैसॆ | 
ANJANA RAJAN
10, ജി.എച്ച്. എസ്.എസ്.ചായ്യോത്ത് (Kasaragod)
എച്ച്.എസ് വിഭാഗം ഹിന്ദി കവിതാ രചന
സംസ്ഥാന സ്കൂൾ കലോത്സവം-2017